health and disease, types

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 स्वास्थ्य और रोग

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Fig.  Healthy fruit

  • स्वास्थ्य (health) : 

इसमें  डब्ल्यूएचओ के द्य्वारे,  हे  स्वास्थ्य को "स्वास्थ्य (हेल्थ) एक व्यक्ति की शारीरिक,सामाजिक , मानसिक( mental),  व भलाई और न केवल मुक्त रूप की बीमारियों, का एक मेव पूर्ण राज्य है" के रूप में परिभाषित किया गया है। स्वास्थ्य की विशेषताएं:  इसमें  डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 

  • शारीरिक स्वास्थ्य:

 इसमें शरीर के सभी अंगों और प्रणालियों का सही कार्य शामिल है। 

मानसिक स्वास्थ्य (mental health) : 

इसमें व्यक्ति के बीच सामंजस्य और संतुलन की स्थिति शामिल होती है और आसपास का व्यक्ति चिंता और तनाव से मुक्त होता है।

 सामाजिक स्वास्थ्य  (social health) : 

इसमें पुरुषों के लिए एक अच्छी नौकरी, एक अच्छा घर, एक खुशहाल परिवार, अच्छे पड़ोसी और समझदार मित्र शामिल हैं।

  • स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक:

 1. भौतिक पर्यावरण के कारक (physical environment factors): 

हल्का तापमान, एक प्राकृतिक आपदा जैसे चक्रवात, बाढ़, वर्षा आदि।

2. सामाजिक पर्यावरणीय कारक (social environmental factors): 

नौकरी की स्थिति, आवास की स्थिति, पारिवारिक वातावरण और पड़ोसियों और दोस्तों के बीच संबंध। इसलिए किसी व्यक्ति के अच्छे स्वास्थ्य के लिए सामाजिक गुणवत्ता और सामंजस्य आवश्यक है।

 3. सार्वजनिक सफाई (public cleanliness): 

कचरे के संचय से बचने के लिए, जल निकासी को रोकना, खुला और स्थिर पानी आदि जो खराब स्वास्थ्य की संभावना को बढ़ा सकते हैं।

 4; संतुलित आहार की आपूर्ति (supply of balanced diet):

 आहार शरीर के सामान्य कामकाज की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक है।

 5. अच्छी आर्थिक स्थिति (good economic condition): 

आर्थिक स्थिति और अच्छी क्रय शक्ति अच्छे स्वास्थ्य की संभावना को बढ़ाती है।


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Fig. Characteristics of health


अच्छे स्वास्थ्य की विशेषताएं: 

बीमारी और बीमारियों से 

1. मुक्त। 

2. अनावश्यक चिंता से मुक्त। 

3. सामाजिक और मनोवैज्ञानिक तनाव से मुक्त।

 4. आत्मविश्वास।

 5. जीने में आनंद की अनुभूति। 

6. कुशलता से और अपने सबसे अच्छे तरीके से काम करने की क्षमता।

  • द अच्छे स्वास्थ्य का महत्व: 

1. हे एक अच्छा स्वास्थ्य किसी का धन है। व एक स्वस्थ व्यक्ति हमेशा के लिए  हंसमुख होना, सक्रिय, इच्छुक कार्यकर्ता और ऊर्जावान होता है। 

3. अच्छा स्वास्थ्य काम करने के लिए किसी की दक्षता को बढ़ाता है।

 4. कार्य में दक्षता उसकी स्वयं की प्रगति, अपने परिवार की प्रगति, अपने समुदाय की प्रगति और राष्ट्र की प्रगति में मदद करती है।

  • रोग (Diseases): 

रोग एक शरीर या उसके हिस्से की स्थिति है, जिसमें कार्य परेशान या नष्ट हो जाते हैं। 

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Fig. Type of diseases


रोगों के प्रकार ( type of diseases): 

ये रोगों को  वर्गीकरण के अध्ययन को नोसोलॉजी कहा जाता है। नृविज्ञान के अनुसार, रोगों को

 ए) जन्मजात रोगों के रूप में दो समूहों में वर्गीकृत किया जाता है (congenital diseases): 

वे रोग, जो जन्म से ही जन्मजात और प्रतिशत होते हैं, उन्हें जन्मजात रोग कहा जाता है। वे मुख्य रूप से आनुवंशिक विकारों के कारण होते हैं उदा।

 1. जीन म्यूटेशन कलर ब्लाइंडनेस, हीमोफीलिया आदि के कारण होने वाली बीमारियाँ। क्रोमोसोमल म्यूटेशन- डाउन सिंड्रोम,

 बी) के कारण होने वाली बीमारियाँ (acquired diseases): 

जिन बीमारियों को जन्म के बाद वह विकसित किया जाता है, उसे   अधिन्ग्रहित रोग कहा जाता है। उन्हें आगे संचारी और गैर-संचारी रोगों में वर्गीकृत किया गया है।

1. संचारी या संक्रमण रोग: 

रोगजनकों या जैविक एजेंटों के कारण होने वाली बीमारियों को संक्रमण रोग कहा जाता है। इस तरह के रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संपर्क, जल भोजन आदि के माध्यम से फैलते हैं, जो संक्रामक रोगों के संक्रमण के मोड के आधार पर दो श्रेणियों में संक्रामक और गैर-संक्रामक के रूप में वर्गीकृत किए जाते हैं।

 a) संक्रामक रोग ( contagious diseases): 

वे रोग जो किसी संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क से फैलते हैं, संक्रामक रोग कहलाते हैं। जैसे चेचक, कुष्ठ रोग, चेचक, खसरा, कण्ठमाला, टीबी, एड्स, आदि

 बी) गैर-संक्रामक रोग (non- contagious diseases): 

जो रोग दूषित पानी, भोजन, दूध, कीड़े के काटने आदि से फैलते हैं, उन्हें गैर-संक्रामक रोग कहा जाता है जैसे। हैजा, टाइफाइड, मलेरिया, हेपेटाइटिस आदि संचारी रोगों को भी उनके कारण एजेंट और संचरण की विधि द्वारा वर्गीकृत किया जा सकता है, एक) बैक्टीरियल रोग-जैसे। काली खांसी, कुष्ठ। सिफिलिस, टेटनस, टाइफाइड, टीबी, हैजा आदि 

बी) वायरल रोग (viral diseases): 

डेंगू, इन्फ्लूएंजा, खसरा, पोलियो, चेचक, चिकनपॉक्स, सामान्य सर्दी आदि 

ग) प्रोटोजोअन रोग (protozoan diseases)- (मलेरिया, अमीबासिस, नींद की बीमारी आदि)

 घ) हेल्मिन्थस रोग (helminths diseases )- टैनियासिस, एस्कारियासिस आदि 

ई) फंगल रोग (fungal diseases)- दाद, एथलीट फुट आदि।


2) गैर-संचारी या गैर-संक्रामक रोग (non- communicable or non- infectious diseases ):

 ये रोग, जो जैविक एजेंटों के अलावा अन्य कारणों से होते हैं, गैर-संक्रामक रोग कहलाते हैं।  एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता ये रोग (non- communicable) हैं। ये उनके कारक एजेंट के आधार पर चार प्रकार के होते हैं।

 a) कमी से होने वाले रोग (deficiency diseases): 

ये या तो आहार में कुछ पोषक तत्वों की कमी या कुछ हार्मोन के कारण होते हैं। जैसे( kwashiorkor) (प्रोटीन की कमी) मधुमेह मेलेटस (इंसुलिन की कमी), बौनापन (विकास हार्मोन की कमी आदि)

 b) अपक्षयी रोग  (degenerative diseases): 

ये शरीर के कुछ ऊतकों के अध: पतन के कारण होते हैं। जैसे हृदय रोगों (हृदय और रक्त वाहिकाओं के) गठिया (जोड़ों का) आदि। 

ग) कैंसर के रोग (cancerous diseases): 

ये शरीर के ऊतक में अनियंत्रित वृद्धि और कोशिकाओं के विभाजन के कारण होते हैं जो ट्यूमर के गठन के लिए अग्रणी होते हैं।

 d) एलर्जिक बीमारियाँ (allergic diseases): 

ये शरीर के कुछ बाहरी एजेंटों को शरीर की अतिसंवेदनशीलता के कारण होती हैं जिन्हें एंटीजन कहते हैं। अस्थमा 

ई) पर्यावरणीय बीमारियां  (environmental diseases): 

विषैले एजेंटों, विकिरणों, सूर्य के प्रकाश, विकिरणों, प्रदूषण जैसे जोखिम के कारण होने वाली बीमारियाँ। चर्म रोग आदि 

च) विटामिन की कमी से होने वाले रोग ( vitamin deficiency diseases)

विटामिन-ए की कमी से रतौंधी होती है, विटामिन बी 1 की कमी से बेरीबेरी (लकवा, कमजोर दिल) विटामिन बी 2 की कमी होती है। चेसिस (कोनों का मुंह फटा होना), ग्लोसिटिस (जीभ की सूजन) विटामिन बी ६- कमी से डर्मेटाइटिस (शुष्क त्वचा) विटामिन बी १२ होता है - कमी के कारण एनीमिया, विटामिन सी की कमी से स्कर्वी (मसूड़ों से खून बहना) होता है, विटामिन के की कमी से रक्तस्राव होता है (रक्तस्राव)

  • रोग पैदा करने वाला एजेंट (Disease causing agent): 

कोई भी जैविक या गैर-जैविक पदार्थ, जो बीमारी का कारण बनता है, इस  रोग को -कारक एजेंट कहलाता है। इस  रोगों के कारणों के अध्ययन को एटिओलॉजी (causes)कहा जाता है।

  •  रोग पैदा करने वाले एजेंट के प्रकार  (types of disease causing agents): 

हे रोग पैदा करने वाले  व एजेंट के पांच प्रकार होते हैं, 

1) जैविक एजेंट (biological agents)

 इन्हें रोगजनक भी कहा जाता है। इनमें विभिन्न प्रकार के रोगजनकों को शामिल किया गया है, 

a) वायरसviruses- वे आम सर्दी, कण्ठमाला, खसरा, एड्स, वायरल हैपेटाइटिस, पोलियो आदि के कारण पैदा होते हैं। 

बैक्टीरिया) bacterial- वे हैजा, टाइफाइड, टीबी, निमोनिया, कुष्ठ रोग जैसे रोगों का कारण बनते हैं। टेटनस आदि 

c) प्रोटोजोअनprotozoa- वे अमीबासिस, पेचिश, मलेरिया, नींद की बीमारी आदि का कारण होते हैं।

 घ) हेल्मिन्थ्सhelminths- वे एस्कारियासिस, हुकवर्म संक्रमण आदि का कारण बनते हैं।

2) रासायनिक एजेंट (chemical agents): 

ये अंतर्जात एजेंट या बहिर्जात एजेंट हैं। अंतर्जात एजेंट यूरिया, यूरिक एसिड, हार्मोन, एंजाइम आदि हैं और मूत्रमार्ग, मधुमेह, गोइटर आदि रोगों का कारण बनते हैं। बहिर्जात एजेंट गैस, धूल, धातु, धुएं, बीजाणु जैसे एलर्जी, पराग कण और यकृत सिरोसिस, एलर्जी जैसे रोगों का कारण बनते हैं। आदि

 3) पोषक तत्व (nutritive agents): 

ये खनिज, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन और पानी हैं। वे विभिन्न कमी रोगों का कारण बनते हैं। 

4) भौतिक एजेंट ( physical agents): 

ये हीट (स्ट्रोक), कोल्ड (शीतदंश), विकिरण, ध्वनि (बिगड़ा हुआ कतरन) हैं।

 5) यांत्रिक एजेंट  (mechanical agents): 

इनमें चोट, मोच, अव्यवस्था आदि शामिल हैं।


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Fig. healthy fruit 

  •  संचरण की विधि:

 संचारी या संक्रामक रोगों को दो प्रमुख साधनों द्वारा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रेषित किया जाता है। 

1) प्रत्यक्ष संचरण (direct transmission):

 इसमें रोगजनकों को संक्रमित व्यक्ति से सीधे स्वस्थ व्यक्ति में बिना किसी मध्यवर्ती एजेंट के प्रेषित किया जाता है। यह एक) निम्न तरीकों से होता है एक संक्रमित व्यक्ति के साथ अर्थात हाथ मिलाना, मुंह सीधे संपर्क से चुंबन आदि चेचक, खसरा, कुष्ठ रोग, दाद आदि 

ख) छोटी बूंद संक्रमण droplet infection(, खाँसी, छींकने और थूकने या संक्रमित व्यक्तियों के माध्यम से) जैसे निमोनिया, इन्फ्लूएंजा, टीबी, सामान्य सर्दी, खांसी।

 c) मिट्टी के साथ संपर्क टेटनस 

d) पशु काटता है उदा। रेबीज

 ई) ट्रांसप्लासेंट ट्रांसमिशन- पैथोजन मुख्य रूप से मातृ रक्त से प्लेसेंटा रक्त में फैलता है उदा। हेपेटाइटिस बी, एड्स आदि।

2) अप्रत्यक्ष संचरण (indirect transmission):

 इस प्रकार के मोड में, रोगजनकों को संक्रमण के भंडार से एक स्वस्थ व्यक्ति को मध्यवर्ती एजेंटों के माध्यम से प्रेषित किया जाता है।

 a) वेक्टर-जनित (vector borne): 

उदा। मलेरिया (मादा एनोफिल्स), डेंगू (एडीज मच्छर) हैजा (हाउसफुल) आदि बी) वाहन-जनित- हैजा, पेचिश, टाइफाइड आदि रोगजनित भोजन, पानी आदि जैसी एजेंसियों द्वारा प्रसारित होते हैं। 

सी) एयरबोर्न (air borne): 

इन्फ्लूएंजा, टीबी, निमोनिया, कुष्ठ आदि

 घ) फेमाइट पैदा हो गया है (fomite borne ):

इस रोगजनकों में दूषित लेख जैसे रूमाल, तौलिया, क्रॉकरी आदि के माध्यम से फैलता है, जैसे। डिप्थीरिया, टाइफाइड आदि 

) अशुद्ध हाथ ( unclean hand):

अशुद्ध हाथ और अंगुलियां और व्यक्तिगत स्वच्छता की कमी सबसे आम मीडिया है जिसके माध्यम से रोगजनकों को प्रेषित किया जाता है उदा। एस्कारियासिस, टाइफाइड, पेचिश आदि